जेएसएससी के अध्यक्ष सुधीर त्रिपाठी जी फिर से छात्रों को रेट्रोफिट रूल में फसाकर समय बरबाद करवाना चाहते है:अभिषेक राज आजसू ।

पलामू-मेदिनीनगर छात्र नेता सह आजसू जिला प्रवक्ता अभिषेक राज ने रेट्रोफिट रूल छात्रों के भविष्य के साथ राजनीति करने पर घोर निंदा किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से हाई कोर्ट का निर्णय आया उसका आर्डर नंबर 62 और 63 जो भी पढ़ेगा। उसमे स्पष्ट है की आगे क्या प्रक्रिया होना चाहिए आर्डर नंबर 62 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है की हाई कोर्ट ने 1 दिसंबर 2021 को ही जेएसएससी को बता दिया था की ये रूल नंबर 2 और रूल नंबर 7 असंवैधानिक है और आगे ये मामला फसेगा आगे जाकर रद्द हो जाएगा। मतलब की 1 दिसंबर 2021 के कोर्ट के द्वारा जो निर्देश था उसके अनुसार जेएसएससी को आगे परीक्षा नहीं लेना था बल्कि नए नियमावली के तहत सुरु से बहाली करना था। लेकिन जेएसएससी एवं राज्य सरकार ने राज्य के युवाओ के समय को बर्बाद करने का काम किया है। अब जेएसएससी द्वारा बताया जाता है की वो रेट्रोफिट रूल से फिरसे इस एग्जाम को आगे बढ़ाएंगे। तो ये कही न कही छात्रों को बेवकूफ बनाने का काम हो रहा है क्योंकि अगर ऐसा होगा तो छात्रों का समय निश्चित ही एकबार फिरसे बर्बाद हो जाएगा।
रेट्रोफिट रूल का मतलब ये होता है की कोर्ट द्वारा जो निर्णय आया है उसके अलोक में कुछ संसोधन करके आगे का प्रोसेस किया जाए। मगर जेएसएससी रेट्रोफिट नियम लगाकर परीक्षा लेती है तो निश्चित ही मामला फिरसे कोर्ट जायेगा और फसेगा क्युकी आर्डर नंबर 63 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है की फिरसे नए सिरे से परीक्षा ली जाए। तो फिर क्यों जेएसएससी के अध्यक्ष सुधीर त्रिपाठी रेट्रोफिट नियम लाकर छात्रों को गुमराह कर एक बार फिरसे उनका समय बर्बाद करना चाहते है।
क्योंकि देश में कही भी रेट्रोफिट नियम से किसी मामले में फायदा नहीं हुआ है तोह फिर जेएसएससी ऐसा नियम लाके क्यों छात्रों का समय बर्बाद करना चाहता हैं इसलिए कही न कही फिरसे छात्रों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। ये नियुक्ति को फ़साने की साजिस है हम जेएसएससी और राज्य सरकार से कहना चाहते है की आप आर्डर 63 के तहत फिरसे नए सिरे से नियुक्ति लीजिए नाहीं की छात्रों से साथ राजनीती करिए और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ मत किजिए।
हम रेट्रोफिट नियम का विरोध करते है राज्य सरकार नियुक्ति के नाम पर छात्रों के साथ राजनीत कर बेवक़ूफ़ बनाने का काम कर रही है। अगर ऐसा होता है तो फिर से छात्र चट्टानी एकता का परिचय देते हुए इसके विरोध में सड़क से सदन तक जाने का काम करेंगे।