मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन पट्टा मामले में सुनवाई पूरी,किसी भी दिन निर्वाचन आयोग सुना सकता है अपना फैसला।

रांची-झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज मामले में निर्वाचन आयोग ने सुनवाई पूरी कर ली है। सीएम हेमंत सोरेन और भाजपा की ओर से वकीलों ने अपनी दलीलें पेश कर दी हैं। बहस की कॉपी बाकायदा लिखित रूप से निर्वाचन आयोग को सौंप दिया गया है. अब निर्वाचन आयोग मामले पर विचार कर किसी भी दिन अपने फैसले की घोषणा कर सकता है। यह भी हो सकता है कि फैसले की घोषणा करने से पहले आयोग फैसला किस दिन घोषित करना है उसकी तारीख तय करे। इससे पहले निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्वाचन को चुनौती देनेवाली याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई की थी। निर्वाचन आयोग की तरफ से सीएम हेमंत सोरेन के अधिवक्ता से लिखित सबमिशन मांगा गया था। वरीय अधिवक्ता मिनाक्षी अरोड़ा ने निर्वाचन आयोग के समक्ष दो घंटे तक अपने मुवक्किल और सीएम हेमंत सोरेन की तरफ से बहस की थी।
उन्होंने कहा था कि हेमंत सोरेन के नाम से रांची के अनगड़ा में आवंटित स्टोन माइंस का मामला लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के 9 ए के दायरे में नहीं आता है। इस पर शिकायतकर्ता पार्टी भाजपा की तरफ से पुष्ट दलीलें दी गयीं भाजपा की तरफ से बहस में शामिल हुए अधिवक्ता ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 9 ए के तहत सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने का पर्याप्त आधार है।
सुनवाई के दौरान यह कहा गया था कि झारखंड के मुख्यमंत्री के नाम से आवंटित खनन पट्टे की ही तरह कई अवैध खनन पट्टे राज्य में लोगों को दिये मालूम हो कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने नाम से खनन लीज लिया है। संबंधित विभाग का मंत्री होते हुए ऐसा करना जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है।
उन्होंने राज्यपाल रमेश बैस और चुनाव आयोग से हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद करने की मांग की थी। इसी मामले को लेकर शिव शंकर शर्मा ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर रखी है। चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी थी।
रिपोर्ट मिलने के बाद चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। इसी बीच भाजपा भी चुनाव आयोग में पहुंच गई थी चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई की बहस दोनों पक्षों की पूरी हो चुकी है।