संत मरियम स्कूल के बच्चों ने सदर अस्पताल के मरीजों के बीच किया फलों का वितरण।

पलामू न्यूज Live//पलामू मेदिनीनगर जिले में नए साल को लोगों ने अपने सोच के हिसाब से अपने अपने तरीके से सेलिब्रेट किया खुशियां मनाई। कुछ नदी पहाड़ झरनों के लुत्फ़ उठाए तो कुछ लजीज व्यंजनों के सौंधी स्वाद चखे। कुछ गरीबों को खिलाकर खुश हुए तो कुछ मंदिरों में खुशहाली के मन्नत भी मांगे। लेकिन इन्हीं लोगों के बीच से कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं जो सबों से अलग बीमार लाचार सामुहिक सेवा किया। जैसा आपको संस्कार मिलेगा वैसे ही विचार आपके मन में आते रहते हैं। ये बातें संत मरियम आवासीय विद्यालय के चेयरमैन अविनाश देव ने कहा।
उन्होंने कहा कि आज हमारे संत मरियम विद्यालय के बच्चे हमारे दिल को तब जीत लिया जब वर्ग नौ के विद्यार्थियों ने कहा कि नए साल के उपलक्ष में अपने जेब खर्च से सरकारी अस्पताल में मरीजों के बीच फल वितरण करना चाहते हैं।
अपने विद्यालय के बच्चों कि ऐसी बातों को सुनकर अविनाश देव से रहा नहीं गया और उन्होंने तुरंत पलामू सिविल सर्जन से संपर्क साधे उन्होंने अस्पताल भ्रमण का इजाजत दे दिया। आवश्यक निर्देश के साथ सिविल सर्जन श्री अनिल कुमार सिंह ने बच्चों को उत्प्रेरित भी किए बच्चों ने महोदय को अंगवस्त्र पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
बच्चों को अस्पताल कर्मियों की मदद से हर वार्ड के मरीजों से मिलवाया गया नए साल के तोहफा के रूप में बच्चों ने मरीजों को फल प्रदान किए। बच्चे संसाधन विहीन मरीज एवं अस्पताल के व्यवस्था रहन सहन से अवगत हुए नए साल में नया अनुभव लिए।
उम्मीद करते हैं कि इन बच्चों से हर बच्चे प्रेरणा लेंगे संत मरियम के बच्चों का अगला पड़ाव है हर शनिवार को खिचड़ी बाटने की। संत मरियम आवासीय विद्यालय के चेयरमैन अविनाश देव ने कहा कोशिश रहेगी कि बच्चों के साथ मिलकर यह योजना को लगातार जारी रखा जाएगा। इससे प्रति दिन खिचड़ी वितरण से असहाय या बाहर के मरीज को बड़ी राहत मिलेगी हमारी कोशिश है।
संत मरियम विद्यालय के हर विद्यार्थियों में यह सोच विकसित हो यही बच्चे आगे चल कर बूढ़े मां बाप को सेवा करेंगे। वहीं बच्चों को श्री देव ने कहा कि आपके ही उम्र का एक झारखंड का आदिवासी लड़का बीमार व्यक्ति को सेवा किया और भगवान बन गया जिसे हम सभी भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जानते हैं।
हैजा कालरा पीड़ित को सेवा करने वाला एक आदमी भारत का राष्ट्रपिता बन गया जिन्हें देश आदर से बापू कह कर पुकारता है। कुष्ठ रोगियों के देखभाल करने वाली विदेशी मुल्क के एक लड़की नोबेल ली जिन्हें हम मदर टेरेसा के नाम से जानते हैं।
क्या पता आपका यह सेवा भाव किस ऊंचाई पर ले जाएगा आपके अंदर विचार पनपना चाहिए क्या पता इसी में से कोई विचारक बन जाए।