नक्सलियों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाले चार पुलिस विकेट को आखिर क्यों किया गया क्लोज जानें।

पलामू न्यूज Live//झारखंड में नक्सलियों का तांडव कई दशक तक जोर-शोर से कायम रहा जिससे लोगों का जिना मुश्किल हो गया था नक्सलियों के दहसत से जंगली क्षेत्रों के कई गरीब परिवार पलायन को विवश हो गए। नक्सलियों के खौफ से कई लोग पलायन करने गया वहीं बस गए जो यहां बचें उसका सहारा भगवान के सिवाय और कोई नही था। वैसे सरकार द्वारा क्षेत्रों को चिह्नित कर पुलिस पिकेट स्थापित किया गया जिससे धीरे-धीरे लोगों को पुलिस का सहारा मिला और वे अच्छे से गुजर बसर कर अपना जिंदगी गुजारने लगे। तीन दशक बाद नक्सलियों का पतन होती दिख रही थी लेकिन अब फिर एक बार नक्सलियों का भय लोगों को सताने लगी है कारण उनका सहारा देनेवाले वर्दी के रखवाले का आसियाना ही उजड़ने का आदेश वरीय पदाधिकारियों ने कर दिया।
यहां तक की उन रखवालों को ले जाने के लिए जिले से सरकारी गाडियां भी मौके पर पहुंच गई लेकिन ग्रामींणो कि एकता ने उनहें खाली हाथ वहां से वापिस कर दिया। बतादें कि नक्सलियों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाले चार पुलिस विकेट को क्लोज कर दिया गया है। चारों पिकेट पलामू के नक्सल प्रभावित इलाकों में मौजूद है। इससे पहले पलामू में तैनात सीआरपीएफ की पूरी बटालियन को भी क्लोज कर दिया गया है कई पिकेट में जवानों की संख्या भी कम हो गई है।
झारखंड राज्य के पलामू जिला अंतर्गत लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के डबरा, सतबरवा के झाबर, तरहसी के कसमार और हुसैनाबाद के कमगारपुर पिकेट को पूरी तरह से क्लोज कर दिया गया है। डबरा, झाबर और कसमार पिकेट पिछले 25-30 वर्षों से संचालित थे, इन पिकेट के माध्यम से नक्सलियों के खिलाफ कई अभियान चलाए गए है।
सभी पिकेट मे IRB और JAP के जवान तैनात थे उन जवानों को वापस मुख्यालय बुलाया गया है और दूसरी जगह पर तैनाती के लिए भेजा जा रहा है। वहीं पलामू एसपी रीष्मा रमेशन ने बताया कि लेस्लीगंज के डबरा, सतबरवा के झाबर, तरहसी के कसमार और विश्रामपुर के कमगारपुर पिकेट को क्लोज किया गया है।
पुलिस पिकेट हटने से बढ़ जाएगा खतरा: ग्रामींण।
पलामू जिले के नक्सली क्षेत्रों से पुलिस पिकेट हटाए जाने के बाद ग्रामीणों का विरोध शुरू हो गया है। सोमवार को डबरा पिकेट बचाने को लेकर पिकेट के बाहर सैकड़ो की संख्या में महिला पुरूष प्रदर्शन कर रहे थे। मौके पर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि 1990 में पिकेट की स्थापना हुई थी पिकेट के कारण इलाके में नक्सली गतिविधि कमजोर हो गई है कई स्तर पर गुहार लगाई गयी है। लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है ग्रामींण भले जान देंगे लेकिन डबरा पिकेट को वापस लाकर रहेंगे। पुलिस पिकेट को क्लोज होने के बाद से ग्रामीणों पर खतरा बढ़ गया है नक्सली गतिविधि फिर से सिर उठा सकती है।
CRPF को एक वर्ष पूर्व किया गया था क्लोज।
नक्सल विरोधी अभियान का कमान केंद्रीय रिजर्व बल सीआरपीएफ संभाल रही थी। झारखंड के पलामू में तीन दशक तक अभियान की कमान संभालने वाले सीआरपीएफ की पूरी बटालियन को सारंडा के इलाके में शिफ्ट कर दिया गया। दो पखवारे पहले सीआरपीएफ के हेड क्वार्टर को भी पलामू से क्लोज कर दिया गया है। पलामू से सीआरपीएफ के डीआईजी कार्यालय को भी लातेहार शिफ्ट किया जा रहा है।
पलामू में नक्सली हमले से हत्या एवं गतिविधियां की रिकॉर्ड है आंकड़े।
झारखंड राज्य के पलामू जिले में नक्सलियों के द्वारा 2013-14 में नक्सली हमले में आठ हत्या के आंकड़े एवं 2023 में एक हत्या को रिकॉर्ड किया गया था। साथ ही नक्सली गतिविधियां में वर्ष 2021 से 2024 के जून तक 92 आंकड़े को रिकॉर्ड किया गया है।