विद्यार्थियों के लिए दसवीं बोर्ड जीवन का चौराहा है जिसे परामर्श की ज़रूरत है-अविनाश देव।

पलामू-मेदिनीनगर हर साल लाखों बच्चे करोड़ों सपने लिए दसवीं बोर्ड की परीक्षा पास करते हैं उनके सामने एक गहरा संकट छाया रहता है कि किधर जाऊं। इस उहापोह की स्थिति में विद्यार्थी जीवन के चैराहे पर निर्णय नहीं कर पाते हैं। ऐसी हालत में उन्हें मार्गदर्शन व परामर्श की ज़रूरत होती है ताकि ज़िंदगी की गाड़ी साफ़ सड़कों पर सरपट दौड़ सके। इसे आम बोलचाल की भाषा मे जीवनवृत्ति हेतु परामर्श या कैरियर काउंसिलिंग कहते हैं। आज बोर्ड परीक्षा की अंतिम दिन बोर्ड परीक्षार्थियों के साथ JMP कॉम्प्लेक्स में कैरियर काउंसलिंग के लिए बैठक की गई।
अपने- अपने क्षेत्रों में महारत हासिल किये हुए विद्वानों व शिक्षकों द्वारा संवाद स्थापित हुई खुल कर बातें किया गया जिसमें सबों की रुचि अलग- अलग दिखी मेडिकल इंजीनियरिंग के साथ वाणिज्य ब्यापार को भी बच्चों ने चुना।
वहीं अंतिम में सबों को एक समान्य चुनौती दिखी वह था अर्थ वित्त कम खर्च में बेहतर एवं परिणाम वादी संस्थान कौन और कहाँ है। इस पर शिक्षकों ने राय दीए तुलना कर बच्चों के विज़न साफ़ किये एक तिहाई बच्चों ने विकल्प के तौर पर पलामू को ही चुना और बाहर के संस्थानों में जाने से असमर्थता जताई।
वहीं संत मरियम स्कूल के चेयरमैन व झारखंड माटी कला बोर्ड सदस्य अविनाश देव ने अपने वक्तव्यों में कहा की ऊंची दुकान फीकी पकवान को आपलोग पहचान कर लें। दिल्ली कोटा बंगलौर में कोचिंग करने वालों की घर वापसी हो गई है बेहतर नहीं कर सके।
किंतु जो विद्यार्थी घर में रह कर मेहनत किया वह टॉप हुआ दुकान भले ही फीका लगे पर पकवान ऊंचा है क्योंकि यहीं के शिक्षक वहाँ हैं जहाँ आप पढ़ते हैं। विकल्प के रूप में पलामू का दृश्यम कोचिंग संस्थान भी बेहतर है जहाँ आई आई टी के शिक्षक सेवा प्रदान कर रहे हैं।