भ्रष्टाचारी मंसूबों को खत्म करने में पीछे नहीं हटेंगे-सेवादार दीपक तिवारी।

पलामू-मेदिनीनगर झामुमो नेता सह सेवादार दीपक तिवारी ने अगलगी घटना पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि व्यवसाय तो फिर से खड़ा हो जाएगा परंतु मां का बिछड़ना पीड़ित परिवार के लिए दु:खदाई है। मेदिनीनगर के व्यवसायियों से अपील करते हुए कहा कि प्रशासन के भरोसे छोड़ देने के बजाय सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करना सब की नैतिक जिम्मेदारी है। भवनों का निर्माण कराने वाले सभी मालिक तय सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करें। अगर इसके आड़े भ्रष्टाचार आता है तो सेवादार दीपक तिवारी भ्रष्टाचारी मंसूबों को खत्म करने में पीछे नहीं हटेगा। दीपक तिवारी ने कहा कि टीवीएस शोरूम में अगलगी की घटना दुर्घटना मात्र नहीं बल्कि नगर निगम के निकम्मेपन की भी देन है। पद पर बैठे लोग आराम फरमाने में व्यस्त है।
दीपक तिवारी ने टीओपी टू सहित पलामू पुलिस एवं प्रशासन को साधुवाद दिया,जिन्होंने जान पर खेलकर अथक मेहनत से और जिंदगीयों को बचाया। साथ ही आक्रोश जताते हुए कहा कि प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर की जनता की सुरक्षा और सुविधा पुख्ता करने के लिए किसी के पास फुर्सत नहीं है। सभी स्वार्थ साधने में इस कदर मशगुल हैं कि धड़ाधड़ बिल्डिंग पर बिल्डिंग बन रहे हैं और पदधारी जांच करने के बजाय एसी में बैठे-बैठे हस्ताक्षर पर हस्ताक्षर करते जा रहे हैं।
कार्यकाल पूरा करने जा रही निगम की सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से संचालित करने वाले चेंबर अध्यक्ष ने खुद मेयर को आईना दिखा दिया। अब मेयर को चेंबर अध्यक्ष के सवालों का जवाब देना चाहिए मेदिनीनगर शहर का नियोजित विकास,शहरवासियों की सुरक्षा,नागरिक सुविधाओं का विस्तार आखिर किसकी जवाबदेही है।
नियमों को ताक पर रखकर मेदिनीनगर शहर में चल रहे निर्माण के लिए विशुद्ध रूप से नगर निगम जिम्मेदार है। कमाई का पाई-पाई जोड़कर गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवार नगर निगम में जुड़े नये क्षेत्रों में घर बना रहे हैं। उनका फोटो खिंचकर निगम के कर्मचारी अवैध वसूली कर रहे हैं। बिना सुरक्षा मानकों को पूरा किए बड़े-बड़े मॉल और बिल्डिंग खड़ा हो रहे हैं धड़ल्ले से कार्य जारी है जिससे बड़ी दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। उस दिशा में कदम उठाने के बजाय गरीब के घरों से उगाही करवाई जा रही है।
चैंबर का कार्य व्यवसाय हित में सुविधा बढ़ाने एवं सुरक्षित वातावरण निर्माण के लिए प्रशासन का ध्यान खींचकर सकारात्मक पहल करना है। वोट बैंक और व्यवसाय चलाने का स्वार्थ साधने वाले इन भवनों पर कारवाई करने में पीछे क्यों हट जाते हैं। दर्दनाक घटना घटने पर निगम के अप्रत्यक्ष कर्ताधर्ता खुद को मजबूर बता कर अव्यवस्था की दुहाई दे रहे हैं उनकी यह नीति उनकी नीयत को जगजाहिर कर रही है।