पलामू-मेदिनीनगर महात्मा गांधी के शहादत दिवस के अवसर पर “आज अगर गांधी होते “विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

पलामू-मेदिनीनगर ज्ञान विज्ञान समिति पलामू के तत्वधान में 30 जनवरी महात्मा गांधी के शहादत दिवस के अवसर पर “आज अगर गांधी होते “विषय पर विचार गोष्ठी श्री गोविंद प्रसाद की अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ मुख्य अतिथि ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के अध्यक्ष श्री शिव शंकर प्रसाद ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा। कि आज देश की जो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक क्षरण हुआ है इसके भरपाई के लिए गांधी को पढ़ना और उसे आत्मसात करना अति आवश्यक है गांधी को समझे बिना रामराज्य की कल्पना नहीं कर सकते हैं। आज गांधी के हत्यारे को महिमामंडित किया जा रहा है जो उचित नहीं है।
श्री प्रसाद ने कहा कि गांधी के सत्य अहिंसा का सिद्धांत को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है ताकि समाज से नफरत का नामोनिशान मिट सके अपनी बात को रखते हुए युवा कवि स्तंभकार घनश्याम कुमार ने कहा कि आज अगर गांधी होते तो आजादी की दूसरी लड़ाई की तैयारी करते।
क्योंकि आज भी गांधी के सपनों का समाज बनना बाकी है श्री कुमार ने कहा कि समाज के हर तबके के लोगों को आगे आना होगा ताकि गांधी के सपनों का भारत बन सके। ज्ञान विज्ञान समिति पलामू के सचिव अजय साहू ने कहा कि आज अगर गांधी होते तो सामाजिक राजनीति सांस्कृतिक एवं आर्थिक रूप से संपन्न होते।
क्योंकि गांधी जी ने कहा था अल्लाह ईश्वर तेरे नाम सबको सम्मति दे भगवान गांधी समतामूलक समाज बनाना चाहते थे हम जन वैज्ञानिक कि अब यह जिम्मेवारी है कि गांधी के विचार को विचार बिंदु और कार्य करें।एमजे अजहर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज अगर गांधी होते तो आज हमारा समाज सत्य अहिंसा प्रेम से भरा होता चारों और शांति का माहौल होता सरहद पर आज जो माहौल है वह निश्चित रूप से नहीं होता उनका जो मॉडल विश्वबंधुता का था उसकी आज जरूरत है आज हम उनके विचारों को सभी तक पहुंचाने की जरूरत है।
उपेंद्र कुमार मिश्रा ने महात्मा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि आज उनके विचार और अप्रासंगिक हो गए हैं जब उनके शहादत को जोर देकर इसके बहाने देश में इन के हत्यारे को याद करने का परंपरा चल पड़ा है।विचार गोष्ठी में अपने बातों को रखते हुए शैलेंद्र कुमार ने कहा कि आज अगर गांधी होते तो शायद आज उन से डरने वाले लोग जितना मरा गांधी से डर रहे हैं उनसे कम डरते।
क्योंकि आज जो देश का माहौल है वह गांधी के विचारों को तहस-नहस करने का है और इन बातों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जब गांधी जिंदा थे और उसके जानने वाले लोग जितना सम्मान करते थे और उनका विरोध करने वाले लोग जितना डरा डरा करते थे आज उसका विपरीत हो गया है।
आज गांधी के विचारों को रोकने के लिए मरा गांधी से ज्यादा डर रहे हैं उन्होंने गांधी के द्वारा रचित सत्य का प्रयोग का उदाहरण देते हुए कहा कि गांधी लगातार आंतरिक आत्मा के बातों को सुना करते थे और लगातार सत्य का प्रयोग किया करते थे।