देश के अलग-अलग स्थानों के लिए झंडे का आकार अलग-अलग होता है।

रांची-झारखंड भारतीय फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 के प्रावधानों के मुताबिक झंडे की मैन्युफैक्चरिंग में रंग, साइज या धागे को लेकर किसी भी तरह का डिफेक्ट एक गंभीर अपराध है और ऐसा होने पर जुर्माना या जेल या दोनों हो सकते हैं। देश के अलग-अलग स्थानों के लिए झंडे का आकार अलग-अलग होता है। सबसे छोटा 6*4 इंच का तिरंगा मीटिंग और कॉन्फ्रेन्स में टेबल पर रखने के लिए बनाया जाता है। VVIP कारों के लिए इसका आकार 9*6 इंच होता है। राष्ट्रपति के VVIP एयरक्राफ्ट और ट्रेन के लिए इसका आकार 18*12 इंच तय किया गया है। कमरों में क्रॉस बार पर दिखने वाले झंडे 3*2 फुट के होते हैं।
बहुत छोटी पब्लिक इमारत पर लगने वाले झंडे 5.5*3 फुट के होते हैं। शहीद सैनिकों को पार्थिव शरीर पर लिपटे तिरंगे का आकार 6*4 फुट होता है। संसद भवन और मध्यम साइज वाली सरकारी इमारतों के लिए इसका आकार 9*6 फुट रहता है। गन कैरिएज, लाल किले और राष्ट्रपति भवन के लिए 12*8 फुट का तिरंगा इस्तेमाल होता है।
बहुत बड़ी सरकारी इमारत के लिए तिरंगे का आकार 21*14 फुट तय किया गया है। यदि झंडे को किसी मंच पर फहराया जाता है तो उसे इस प्रकार लगाया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उसके दाहिनी ओर रहे। एक तरीका यह भी है कि झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए।
किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता। इसके अलावा, फूल, माला, प्रतीक या अन्य कोई वस्तु झंडे के पोल के ऊपर रखी जाए।