भारत का अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा तीन दिनों में शुरू हो जाएगा काउंटडाउन।

नई दिल्ली- भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है पिछली बार 17 जुलाई 2017 को नए राष्ट्रपति का चुनाव हुआ था तब लगभग पचास फीसदी वोट एनडीए के पक्ष में थे। साथ ही क्षेत्रीय दलों में भी अधिकतर दलों का समर्थन मिल गया था इस बार भी कुछ क्षेत्रीय दलों की मदद से एनडीए अपनी पसंद का राष्ट्रपति चुनने के करीब है। हालांकि अभी अगले कुछ दिनों में होने वाले राज्यसभा चुनाव के बाद इसकी पूरी तस्वीर साफ होगी।
कैसे होती है राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति चुनाव में वोटों का गणित MP के वोट का वैल्यू
सांसदों के मतों के वैल्यू का गणित अलग है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभा के विधायकों के वोटों का वैल्यू जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वैल्यू को राज्यसभा और लोकसभा के कुल मेंबर की कुल संख्या से डिवाइड किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट की वैल्यू होती है।
देश के सभी निर्वाचित सांसद और विधायक इसमें वोट देते हैं।
– 776 सांसद हैं लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर
-708 होती है हर सांसद के वोट की वैल्यू
– 4120 हैं देश के सभी राज्यों के कुल विधायक
-5,49,408 हैं सांसदों के कुल वोट की वैल्यू
-5,49,474 हैं विधायकों के कुल वोट
-549441 वोट चाहिए राष्ट्रपति बनने के लिए
MLA के वोट की वैल्यू
विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो, उसकी आबादी देखी जाती है। इसके साथ उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी ध्यान में रखा जाता है। वैल्यू निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को कुल MLA की संख्या से डिवाइड किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, उसे फिर 1000 से डिवाइड किया जाता है। अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट की वैल्यू होती है।
सिंगल ट्रांसफरेबल वोट
इस चुनाव में एक खास तरीके से वोटिंग होती है जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं यानी वोटर एक ही वोट देता है लेकिन वह तमाम कैंडिडेट्स में से अपनी प्रायॉरिटी तय कर देता है। यानी वह बैलेट पेपर पर बता देता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन। यदि पहली पसंद वाले वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है। इसलिए इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है।
वोटों की गिनती
प्रेजिडेंट के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है। प्रेजिडेंट वही बनता है जो वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करे। इस समय प्रेजिडेंट इलेक्शन के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 1098882 है। जीत के लिए कैंडिडेट को हासिल करने होंगे 549441 वोट।
चार बार से वाइस प्रेजिडेंट से प्रेजिडेंट नहीं
पिछले चार बार से वाइस प्रेजिडेंट को प्रेजिडेंट बनाने की परंपरा टूट गई है कृष्णकांत और भैरों सिंह शेखावत को वाइस प्रेजिडेंट पद से प्रेजिडेंट बनने का मौका नहीं मिला। उनके बदले एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल प्रेजिडेंट बनीं दो बार वाइस प्रेजिडेंट रहे हामिद अंसारी को दोनों बार प्रेजिडेंट बनने का मौका नहीं मिला।