सैनिक केवल एक शब्द नहीं खुद में एक पूरा वाक्य है कारगिल शहीद युगम्बर दीक्षित युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत-बृजेश शुक्ला।

पलामू न्यूज Live//पलामू जिले के पोल-पोल में कारगिल शहीद स्मारक पार्क में कारगिल शहीद युगम्बर दीक्षित एवं शहीद प्रबोध महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस अवसर पर शहीद युगम्बर दीक्षित के पुत्र युद्धजय दीक्षित एवं शिक्षक दिलीप तिवारी ने भी शहीद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि कर नमन किया। ज्ञात हो कि कारगिल युद्ध जो कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ था जिसमें दुश्मन सबसे ऊपर चोटी पर बैठा था और उसे नीचे से जाकर ध्वस्त कर पोस्ट पर कब्जा करना था। भारतीय सेना ने अपने शौर्यता का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया तथा बचे हुए सैनिकों को वहां से खदेड़ा तथा पुन: अपने पोस्ट पर कब्जा किया। इस दौरान भारतीय सेना के करीब 400 से अधिक सैनिक शहीद हुए उसी कड़ी में पलामू के लाल युगम्बर दीक्षित भी वीरगति को प्राप्त हो गए थे। 23 जून 99 का वह दिन मूसलाधार बारिश और उस बारिश के बीच शहीद के पार्थिव शरीर का उसके पैतृक गांव में आना रांची से लेकर मेदिनीनगर तक एवं मेदिनीनगर से उनके पैतृक गांव भदुमा तक अवाम के द्वारा जगह-जगह पर पुष्पों की वर्षा की गई थी।
साथ ही प्रकृति ने भी उनकी अंतिम यात्रा में मूसलाधार बारिश करती रही थी पलामू का लाल अपने मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वत्र न्योछावर कर बैठा था। आज उनकी शहादत दिवस को हम सभी शौर्य दिवस के रूप में मना रहे हैं मेदिनीनगर के सदर प्रखंड के पोल पोल में कारगिल शहीद स्मारक पार्क 2016 में बनाई गई थी जिसे बड़े धूमधाम से उसका उद्घाटन किया गया था। लेकिन आज के समय में कारगिल शहीद स्मारक पार्क जीर्ण शीर्ण अवस्था में है मानो उसका कोई देखरेख करने वाला नहीं है।
इस अवसर पर जिला प्रशासन से आग्रह किया गया की अपने संरक्षण में लेकर उसकी मरम्मत करा कर सुचारू रूप से देखरेख करें। क्योंकि इन्हीं शहीदों की बदौलत आज हमारा अस्तित्व है हम खुली हवा में सांस भी ले पा रहे हैं। तो वह मां भारतीय कि लाल के भरोसे भारतीय तिरंगा लहराता है शहीदों के स्वास से आज का दिन पूरे पलामू वासियों ही नहीं पूरे भारतवर्ष के लिए गौरव का दिन है।
क्योंकि मां भारती के लाल ने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी मां भारती की रक्षा में एक पल भी नहीं सोचा अपने परिवार के बारे में या खुद के बारे में और खुशी-खुशी मौत को गले लगा लिया। आज इन्हें हम सलाम कर रहे हैं और इनकी जीवनी को हम वीरगाथा के रूप में लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। ये सारी बातें सेवा निवृत्त पूर्व सैनिक बृजेश शुक्ला ने कही उन्होंने कहा कि सैनिक केवल एक शब्द नहीं खुद में एक पूरा वाक्य है।
जब भी हम इस शब्द को सुनते हैं हमारे समक्ष प्रतीत होता है एक शौर्य की प्रतिमा, अचल पर्वत की भांति निडर हौसले, निस्वार्थ प्रतिबद्धता, अखंडता एवं अनुशासन तथा अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा एवं अपने मातृभूमि के खातिर प्राण न्योछावर करने का जज्बा। ऐसे ही एक सैनिक थे युगम्बर दीक्षित जिन्हें हम आज नमन कर रहे हैं।