झारखंड के कई जिलों में लगते हैं भूतो के मेले,भूतों से मुक्ति के लिए तय होती है अलग-अलग रेट,बंद होने चाहिए ऐसे भूत मेले।

पलामू-हैदरनगर देवी धाम परिसर भूत मेले के लिए पूरे देश में प्रचलित है यहां चैत्र नवरात्र के दौरान प्रतिदिन लगभग 35-40 हजार लोग देश के अन्य राज्यों से पहुंचते हैं। यहां पहुंचने वालों में ज्यादातर भूत-प्रेत व तंत्र बाधा की समस्या से परेशान लोग होते हैं यहां का ऐसी मान्यता है कि हैदरनगर देवी धाम आने से उनकी सारी समस्याएं दूर हो जाती है। इसी की आड़ में यहां लाखों का कारोबार फल-फूल रहा है चिकित्सक का मानना है कि मेला आस्था के नाम पर अंधविश्वास को भी बढ़ावा दे रहा है। भूतों से मुक्ति के लिए तय होती है अलग-अलग रेट हैदरनगर देवी धाम परिसर में भूतों के प्रकार और उनसे मुक्ति के लिए अलग-अलग रेट तय की गई है। कोई भूत धोती साड़ी पर ही खुश हो जाता है तो कोई भूत 20 से 25 हजार रुपये खर्च करवाने के बाद मानता है।
बिहार के औरंगाबाद के ओबरा से झाड़फूंक करने वाले महेंद्र चौधरी ने बताया कि भूतों के अलग-अलग प्रकार है। वे बताते हैं कि “डाकिन, मनुषदेवा, वैमत” भूतों के प्रकार हैं वे खुल कर पैसे के बारे में नहीं बताते हैं लेकिन यह बोलते हैं कि जिसको जो खुशी होती है मुक्ति के लिए देते हैं। वहीं यूपी के चंदौली से पहुंचे राम सिंहासन जी ने भूतों के प्रकार बताते हुए कहा कि डाकिन भूत काफी खतरनाक होता है।
यह गांव में हैजा फैलाता है डाकिन भूत चाह दिया तो गांव के गांव पलक झपकते ही सून कर देगा। इसी के डर से यहां चैत्र नवरात्र के दौरान 115 करोड़ के करीब होता है कारोबार तथा आश्नि मास दशहरा के नवरात्र में भी भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन चैत्र माह में नवरात्र के भूत मेला का नजारा अलग ही रूप मे देखने को मिलता है।
हैदरनगर देवी धाम परिसर में आयोजित इस भूत मेला में बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों के लोग पहुंचते हैं। यहां के लोगों की भीड़ की वजह से कारोबार भी चरम पर रहता है। स्थानीय कारोबारी रंजन गुप्ता बताते हैं कि इस मेला में भाग लेने के लिए कई राज्यों से लोग पहुंचते हैं एक सप्ताह के दौरान उन्हें अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है।
करीब 115 करोड़ के आस-पास दुकानदार, पुजारी और तांत्रिकों की मिलकर कमाई होती है। वहीं शारदीय नवरात्र के दौरान 70 से 80 करोड़ रुपये का व्यवसाय होता है। यहां का भूत मेला इकोनॉमिकल मॉड्यूल की तरह विकसित होता जा रहा है।
कई जनप्रतिनिधी एवं शिक्षित व्यक्तियो ने इस भूत मेले को रोकने के लिए झारखंड सरकार एवं प्रशासन से मांग करती है कि राज्य के सभी लगने वाले भूतमेले से अंधविश्वास का बढा़वा मिल रहा है इसे रोकने की आवश्यक्ता है। यहां गरीबों से भूत झाड़ने के नाम पर लाखो रूपए ऐठ लिया जाता है गरीब कर्जा कर या मजदूरी कर पैसा उन्हें देतें हैं।
वे कल जैसा थे भूत उतारने के बाद भी वैसा ही रहते हैं उन्हें कोई फायदा नहीं होती है। गरीब और गरीबी के दलदल मे फंसता चला जाता हैं उसकी जिंदगी दर-दर की ठोकरें खाते खाते खत्म हो जाती हैं और कुछ हासिल नही कर पाता है।
इस अंधविश्वास से लोग कब निकलेंगे जब शिक्षित बनेंगे संघर्ष करेगें और लोगो को जागरूक्त करेंगे आने वाले कल को अंधविश्वास मुक्त करें।