पलामू के MMCH हॉस्पिटल का हाल बत्तर, सईयां भए कोतवाल तो काहे का डर-सतीश कुमार।

पलामू न्यूज Live//पलामू जिले के मेदिनीनगर में चरमराई चिकित्सा व्यवस्था के सुधार के लिए ‘पुर्व मंत्री केएन त्रिपाठी’ का सदर अस्पताल में सांकेतिक धरना झारखण्ड सरकार के लिए एक संकेत है। ये बाते पलामू जिला के आजसू पार्टी के केन्द्रीय सचिव सतीश कुमार ने कहा। ज्ञातव्य है कि पलामू जिला के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत चांदो निवासी एक व्यक्ति का हार्ट अटेक होता है, बिना प्राथमिक उपचार के उसे रांची रेफर कर दिया जाता है। रांची जाने के लिए उसके पास कोई एम्बुलेंस की व्यवस्था नही होती है।
ऐसे में कोई भी संवेदनशील व्यक्ति के लिए संघर्ष के अलावा कोई और रास्ता नही बच जाता है जो काम केएन त्रिपाठी ने किया। अब सवाल यह है कि ये पहली घटना थी या ऐसा और लोगों के साथ होता है ये सदर अस्पताल में परम्परा बन गई है।
अगर मरिज हॉस्पिटल मे पदस्थापित डाक्टरों के निजी हाॅस्पिटल मे जाता है तो ईलाज हो जाता है। लेकिन सरकारी हॉस्पिटल में आखिर क्यों नहीं होता है इसका जिम्मेवार कौन है।
आपको जानना जरूरी है कि एकाध को छोड़ कर सभी डॉक्टरों का दलाल आज भी मरिजो को बरगलाने के लिए MMCH मे चक्कर काटते रहते हैं।
न तो अस्पताल में सफाई की बेहतर व्यवस्था है न ही जांच का व्यवस्था है दवा का वितरण भी ढंग से नहीं होता है। डाॅक्टर मोटी कमिशन पर दवा लिखते है। जो दवा हाॅस्पिटल मे उपलब्ध नहीं है।
सरकार कहते फिरती है कि चिकित्सा के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है मगर सब ढाक के तीन पांत वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। इस घटना के एक दिन पहले पलामू के उपायुक्त शशि रंजन व निगम आयुक्त रवि आनन्द “MMCH” के सभी वार्डो का दौरा किया था।
साथ हीं संबंधित पदाधिकारी व कर्मचारियों को शक्त हिदायत दी थी बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि दुर दराज से ईलाज कराने आने वाले मरिजो का क्या हाल होता होगा।
कमोबेश झारखण्ड के सरकारी हॉस्पिटल की यही स्थिति है। चिकित्सक मोटे रकम देकर पदस्थापित होते है तो कुव्यवस्था का पुरा व्यवस्था सरकार की ओर से हो जाता है।
सईयां भई कोतवाल तो डर काहे का कमोबेश झारखण्ड के सरकारी तंत्र का यही हाल हो गया है।