पलामू में भी राजधानी रांची की तरह जमीन फर्जीवाड़ा का खेल धड़ल्ले से हो रहा है।

पलामू न्यूज Live//पलामू जिले में भी राजधानी रांची की ही तरह जमीन फर्जीवाड़ा का खेल धड़ल्ले से हो रहा है इस खेल में माफिया जमीन का केवाला और एकरारनामा लिखने वाले ताईद व निबंधन कार्यालय कर्मचारियों के मिलीभगत से खेल कर रहे हैं। ताज़ा मामला जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से सटे शाहपुर चैनपुर का है भुक्तभोगी महिला ने कहा कि किरायेदार बनकर आये मुर्शिद अंसारी जो बेतला पोखरी थाना बरवाडीह का है ये अपने ससुर जमालउद्दीन अंसारी के सहयोग से एक असहाय महिला का जमीन मकान हड़प लिया है। आगे उन्होंने कहा कि भुक्तभोगी महिला शमीमा बीबी पति कलाम अंसारी जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से सटे शाहपुर में 2010 में 6 डिसमिल जमीन ख़रीदा और एसबीआई बैंक के एडीबीआई शाखा जेलहाता से 8 लाख ऋण लेकर 1800 सौ वर्गफीट में घर बनाया।
उस मकान से किराये का कुछ आमदनी हो ताकि बैंक का ऋण चुकता करने में सहयोग हो यह सोंचकर महिला ने मकान का एक हिस्सा अपने पड़ोसी जमालुद्दीन अंसारी के कहने पर उसके दामाद मुर्शिद अंसारी को दे दिया इस कहानी में यहीं से ट्विस्ट शुरू होता है।
मुर्शिद अंसारी अपने ससुर जमालुद्दीन के साथ मिलकर मकान हड़पने की योजना बनाते हुए तय योजना के मुताबिक मकान मालकिन शमीमा बीबी को मकान किराये पर देने और उसके एवज़ में तय राशि किराये के रूप में लेने के लिये एकरारनामा करने के लिये कचहरी मेदिनीनगर में लेकर आया।
जहां ये लोग एक ताईद अब्दुल्लाह अंसारी, मकसूद आलम से मिलकर पहले केवाला जिसका केवाला नम्बर 9425 और बाद में एकरारनामा जिसका नम्बर 9426 है जिसके दोनों जगह देय राशि 9.24 लाख लिखा गया। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब शमीमा बीबी किराए का पैसा मांगने आई किराया देने की जगह मुर्शीद अंसारी उससे यह कहा की हमने तुम्हारा मकान ख़रीद लिया है इसलिए तुम ये मकान खाली करो।
ये कहते हुए मकान में लगे बैंक ऋण का बोर्ड़ भी उखाड़ कर फेंक दिया अब सही कौन और गलत कौन है यह तो जांच का विषय है। किंतु इस बात को लेकर केवाला लिखने वाले ताईद से जानने का प्रयास किया गया तो ताईद अब्दुल्ला अंसारी और मकसूद आलम भाग खड़ा हुआ। निबंधन पदाधिकारी यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिए की बहुत पहले का मामला है।
शमीमा बीबी का कहना है कि हमने मकान बिक्री किया ही नही है दूसरी बात की जब मकान खरीद लिया तो फिर एकरारनामा क्यों केवाला के कई पन्नों में हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान क्यों नहीं है। सरकार द्वारा अनिवार्य किया गया आधार कार्ड भी केवाला में यह कहते हुए संलग्न नही किया कि इनके पास आधार कार्ड नहीं है जबकि इनके पास आधार पहचान सब कुछ उपलब्ध था।
इस बाबत मुर्शिद से पक्ष जानना चाहा तो भड़कते हुए आवाज में धमकी देने लगा ये मामला अब जांच का विषय है। भुक्तभोगी महिला जांच की मांग और न्याय की गुहार 2014-2015 से अंचल कार्यालय, थाना, निबंधन कार्यालय सहित उपायुक्त कार्यालय का चक्कर लगा रही है। किंतु अभी तक न्याय मिलना तो दूर की बात है अब तक सुनवाई भी नही हो पाया है।
इस खबर के माध्यम से जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है इस जिला में ऐसे कई असहाय व्यक्ति हैं जो नित्यदिन विभिन्न कार्यालयों का चकर लगा रहे हैं लेकिन इंसाफ नहीं मिल रहा है जिसकी समस्या का समाधान जिला के वरीय पदाधिकारी कर सकें।