धीरज मिश्रा ने राजनीतिक सामाजिक धार्मिक व्यवसायिक स्वयंसेवी संगठनों से रक्तदान शिविर आयोजित करने का किया अपील।

पलामू न्यूज Live// पलामू जिले के सामाजिक कार्यकर्ता सह सहायक अध्यापक धीरज मिश्रा ने 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय रक्तदान दिवस के अवसर पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि मीडिया के माध्यम से सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक धार्मिक व्यवसायिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं से रक्तदान शिविर आयोजित करते हुए रक्तदान करने का अपील किया है। वहीं पलामू ब्लड बैंक में विभिन्न प्रकार के ब्लड समूहों के स्टॉक की कमी रहने के कारण रक्त के जरूरतमन्द मरीजों को हो रही परेशानियों को देखते हुए। पिछले दस वर्षों से पेशे से सहायक अध्यापक सह सामाजिक कार्यकर्ता धीरज मिश्रा ने रक्तदान जागरूकता अभियान कार्यक्रम के माध्यम से पलामू, गढ़वा, लातेहार, रामगढ़ , बोकारो धनबाद समेत। राजधानी राँची में अब तक रक्त के जरूरतमन्दों को सोशल मीडिया से जुड़े विभिन्न विभागों में जुड़े सामाजिक कार्य कर रहे अपने सहयोगियों के माध्यम से रक्त उपलब्ध कराने का कार्य कर चुके हैं।
इसके साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से ही अपने मित्रों और रिश्तेदारों से रक्तदान करने का आग्रह लगातार करते रहे हैं जो काफी सफल रहा है। धीरज मिश्रा ने बताया कि सामाजिक सोच भावना के तहत अपने सहयोगियों के साथ मिलकर निःशुल्क सेवा भाव से रक्त उपलब्ध कराने का कार्य करते हुए जरूरतमन्दों की जान बचाते रहे हैं।
पलामू के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनो द्वारा इन्हें रोजाना 20 से 30 कॉल रक्त उपलब्ध कराने के लिए आता रहता है। इसके लिए ब्लड डोनेशन से जुड़े व्हाट्सएप ग्रुप एवं सामाजिक कार्यों हेतु 2016 में बनाया गया व्हाट्सप्प ग्रुप इंसानियत का रिश्ता ग्रुप में सूचना साझा करके रक्त उपलब्ध कराने का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि रक्तदान करने से शारीरिक सेहत को किसी भी तरह का नकारात्मक असर नहीं पड़ता है बल्कि नए रक्त के निर्माण से शरीर में ऊर्जा और स्फूर्ति बढ़ती है। रक्तदान करना पुण्य का काम है एक रक्तदाता तीन महीने में एक बार और साल में चार बार रक्तदान कर सकते हैं।
श्री मिश्रा ने दुखी मन से बताया कि बहुत अफसोस की बात है कि लोग रक्तदान करने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं रक्तदान करने को लेकर लोग अभी भी पूरी तरह जागरूक नही हैं। अक्सर देखने में आता है कि रक्त के जरूरतमन्दों के परिजनों द्वारा अपना रक्तदान नही करते हुए अन्य लोगों से रक्तदान करने का आग्रह करते हैं।
ज्यादातर मामलों में रक्त के जरूरतमन्दों को अपना ब्लड देने में आनाकानी करते हुए मरीज को मानसिक एवं शारीरिक तनाव देने का काम किया जाता है। श्री मिश्रा ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को उचित खानपान इलाज चिकित्सा के माध्यम से रक्त की कमी होने से बचाया जा सकता है। अक्सर देखने में यह आता है कि अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिलाओं का हीमोग्लोबिन।
मात्र 5 या 6 ग्राम रहता है जिससे मरीज की हालत नाजुक बनी रहती है इसके बावजूद मरीज के परिजनों द्वारा अपना रक्तदान न करके मरीजों को परेशान किया जाता है। रक्त के जरूरतमंद मरीजों के परिजनों को भी अपना रक्त दान कर अपने परिजनों का जान बचाने का कार्य किया जाना चाहिए।